Max muller की दुष्ट इच्छा
जर्मन लोगो पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए
उन्होंने एक झूठ निकाला था आर्यन invasion का जो उनके ब्रिटिश जर्मन कर्मी max muller का कोरा झूठ था
पहले तो आर्य एक पदवी थी नस्ल नहीं
कृष्ण अर्जुन को आर्य कहते है पर दुर्योधन और भीम को नहीं
एक और Melanism का विषय लाते है European लोग तो दूसरी और आर्यन invasion को भी बताते है
जॅनॅटिक्स और जीनोम पर अभी 99.99 % reserch करनी बाकि है
जिस प्रकार ब्लैक होल theory पहले Albert Einstein ने खुद नहीं मानी थी लेकिन आज उस Theory को प्रूफ मिल गया
वैसे ही DNA टेस्टिंग और carbon डेटिंग पर और research होते होते आर्यन invasion का थोथा ज्ञान भी निकल जायेगा!!
जैसे किसी समय मंगोल ने पुरा इराक सीरिया जीत लिया था 400 साल तक एशिया minor पर भी उनकी राज्य व्यवस्था थी उन्होंने वहाँ की औरतो को उठाया भी लेकिन
फिर भी आज का ईरान अफगानिस्तान पाकिस्तान सीरिया इराक तुर्क सीनाई प्रायद्विप के लोग मंगोल नस्ल के नहीं है !!
Europe की खुद कोई सभ्यता नहीं है और ये जंगली लोग हमे मूर्ख मान रहे है
जब कोहिनूर इन्होंने लूट लिया तो पता नहीं कितने साक्ष्य लूटे होंगे
साथ ही मुगल सुल्तनत इस्लाम काल मे भी कई पुरा साक्ष्य तोड़े गये
इसलिये भारत खुल कर किसी का विरोध नहीं कर पा रहा और मूढ़ बन कर फिर रहा है अपने ही लोगो के द्वारा!!
_भारत से europe गये ; जिप्सी, sinti, रोमा लोग क्यों hitler ने मरवा दिये?
क्यों की वो हमारे स्वस्तिक को europe लेकर गये थे ना की जर्मन हमे स्वस्तिक बताने आये थे
यूरोपियन : नॉर्डिक, एंग्लो , गोथिक, रोमन , स्लाव, इन्हे अपने से नीच मानते थी इसीलिए इन्होंने अपनी एक पहचान ढूंढी भारत के सिंटि, रोमा, जिप्सी लोगो के द्वारा और वो है स्वस्तिक जिसे उन्होंने अपना बताया और कहा की हम आर्य है इस दुनिया के !! ये जर्मन लोग ; नॉर्डिक एंग्लो लोगो का चुटिया काटना चाह रहे थे Hitler के जमाने मे लेकिन उल्टा उनका ही चुटिया कट गया ww2 हारने के बाद !!
लेकिन भारत के लोग मूर्खता वश आज भी आर्य invasion theory को मानते है ताकि अपने आप को जंगली साबित कर सके 😂
जब नॉर्थ इंडियन लोगो को अंग्रेजो ने यूरेशियन बोल दिया तो उन्होंने साउथ इंडियन लोगो की नस्ल को ऑस्ट्रैलोइड, नेग्रो कहा!! 😑
कहने का मतलब है की अंग्रेज चाहते थे की तुम भारत वाले यहाँ से भागो और हम जैसे अमेरिका को रेड इंडियन से मुक्त कर गए वैसे तुम को भी यहाँ से निकाल कर रहेंगे और राज करेंगे
आज भी यूरोपियन लोग अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीप पर कब्जा कर के बैठे है चाहे दिमाग से किया हो या हथियार से किया हो लेकिन ये ही हाल वो India से भी चाहते है और चाहते थे
मैकाले ने सच ही कहा था की काले अंग्रेज बना दूंगा भारत मे ऐसे जो आगे दीखते तो इंडियन होंगे लेकिन दिमाग जंगली अंग्रेजो जैसा होगा उनका
और शायद आज के लेफ्टिस्ट इन्हीं मे आते है
सावधान रहें सतर्क रहें
!!
मुर्ख मत बना करो
आर्य एक उपाधि थी और कुछ नहीँ थी
और ये नस्ल तो बिल्कुल भी नहीं थी
!!
जै कल्कि!
"; हमारा भारत ज्ञान के मामले मे विशेष था
यवन (रोमन)
कुषाण (caucacian)
हूण (मध्य एशिया)
पार्थियन (ईरानी सीरियन )
शक (सीरियन इजरायली)
लोग भारत तक्ष शिला विश्व विधालय आते थे
नालंदा आते थे
जो यहाँ सनातन शिक्षा लेते थे
नील नदी सभ्यता
टिगरिस् इराक नदी सभ्यता
सिंधु नदी सभ्यता एक line मे समानांतर सभ्यता है जो एक दूसरे के equivalent देवी देवता की पूजा पद्धति से युक्त थी
और आज की जीवित सभ्यता गंगा वाराणसी है जो अब भी चल रही है सनातन की जीवंत ज्वाला अनंत बन कर!
अगर आप pre islamic era के arab सिरियन gods देखोगे पुस्तको मे तो वो बिल्कुल आपको हमारे सनातनी देवी देवता जैसे
ही दिखेंगे और उन्ही के वो equivalent है
! Al manat , al uzza नाम की अरब goddess तो बिल्कुल अभय मुद्रा के साथ सिंह पर बैठी त्रीदेवी रूप मे तलवार संग है बिल्कुल दुर्गा जैसी और कलत की काली भगवती जो क्वेटा बलोच मे है वो एक सीरिया की देवी मूर्ति को प्रभाव मे रखती थी ये बेलुच् लोग सीरियन god belus के पूजक थे
यूरोप का नाम उद्भव भी एक ऐसी देवी से हुआ है जो वृषभ पर सवार है
काली देवी को आज का विज्ञान Black hole कहता है जैसे डार्क मैटर भी उसी को ही विज्ञान समझता है
ब्लैक होल मे कुछ भी डालो वो गुप्त हो जाता है और ये ही Black hole सारे यूनिवर्स को खा रहा हैं, जैसे हमारी काल की शक्ति काली निरंतर रक्त बीज और ब्रह्मांड को निगल रही है ताकि नवाचार लाया जाये!
! ;जैसे सुर का मतलब प्रकाश होता है
और असुर का मतलब अंधकार
, जैसे ज्ञान का मतलब जहाँ wisdom बुद्धिमता होता है और अज्ञान का मतलब जहाँ ज्ञान का अभाव हो वो कहलाता है!!
!! कृष्ण ने ज्ञान अर्जन करने वाले अर्जुन को विश्व रूप दिखाया लेकिन अन्यो को नही
वैसे ही भीम रूपी बल को सिर्फ कार्य भार था लेकिन ज्ञान अर्जन की लालसा नहीं तो वो स्वतः वो आर्य तोह था लेकिन कृष्ण की नजर मे नही अपितु अपनी पत्नी की नजर मे वो आर्य था
, जैसे मै अपने गुरु को गुरु कहूंगा क्यों की वो मुझे सिखाता है लेकिन मेरा पड़ोसी उस को गुरु नहीं कहेगा क्यो की वो उसके ज्ञान से वर्जित था :" आर्य एक उपाधि है!!आर्य एक पदवी है!!
पाँच साकार ब्रह्म उस एक निराकार ब्रह्म के जो सनातन धर्म की आधार भूत शक्ति है!
उनके नाम इस प्रकार है, गणपति, शक्ति, सूर्य, विष्णु, शिव ;:
;"*मूलाधार मे वास कर ने वाली शक्ति और उस चक्र मे गणपति विराजते है और उन्हीं गणपति से यानि के उसी मूलाधार चक्र से सृष्टि उत्पन्न होती है और उसी चक्र मे विराजमान लिंगाकार अदृश्य पिण्ड मे लिपटी कुंडलिनी नाम सर्प रूप शक्ति सुप्त होती है ,
हर जीव के उत्पत्ति का स्थान वो ही मूलाधार चक्र होता है, हर भाँति के गण उस ही स्थान से प्रथम रूप मे प्रकट होता है इसीलिए यहाँ विराजने वाले ब्रह्म को गणपति कहते है ; चाहे राक्षस हो या देव या मनुष्य सब प्रकार के गण उसी चक्र से उत्पन्न होते है और कुंडलिनी जागरण भी उसी से औधर्व होती है मतलब ऊपर सहस्त्र चक्र तक जाती है ! इसीलिए योगी जन उसे प्रथमाधिपति गणपति कहते है!
शव बिना शक्ति के कुछ नहीं इसीलिए शक्ति और शिव भी एक ही साकार ब्रह्म रूप के दो पहलू है, सूर्य तो प्रत्यक्ष साकार ब्रह्म है, वो ही जीवन भी है, विष्णु या नारायण तो हर अणु मे विधमान ब्रह्म है !
क्या एक आदमी अपने एक जीवन काल मे ही इतना स्याना होगया की वो वैदिक संस्कृत को पढलेगा? Max muller ओर मैकाले बस चर्च of England के कार्यकारी थे हालाँकि कभी यूरोप की कोई सभ्यता थी?
नही थी तब ही वो तुमको नीचा जंगली बोलते हुए मुर्ख बनाते है और तुम गधे बनते हो कुंठित प्राणी हो तुम वैसे भी,
आर्य एक उपाधि थी नस्ल नही
, भारत मे caucasian कुषाण
, यवन रोमन
, पार्थियन इराकी,
हुण मध्य एशिया,
से आये थे वो आर्य नही थे, भारत के समानांतर चार नदी सभ्यता है उनमे से तीन मर चुकी है, नील egypt, टिगरिस् इराक ईरान, सिंधु भारत, और चतुर्थ है गंगा वराणसी,
अब खाली गंगा सभ्यता ही जीवित पुरानी इकलोती धारा है क्योकि वहाँ मौसम आज भी हरा है बजाए अन्य तीन नदी सभ्यता के egypt, South iran, India, iraq के लोगो की शक्ल एक सी है, और नस्ल विज्ञान skull shape से decide करता है ना की color से, melanism शायद आपने पढ़ा नही होगा, भारत उतरी से लेकर morocco north अफ्रीका तक लोग एक समानांतर सभ्यता अपने कालांतर मे जीते थे, महाभारत के समय आपने काल यवन नाम के उस पात्र को सुना नही शायद, यवन रोमन होते थे तब भी भारत मे श्रेष्ठ आदमी ही आर्य होता था , आर्य एक पदवी थी धर्म मे ,
भारत के तक्षशिला विश्व विधालय मे पुरा एशिया minor तक का इलाका पढ़ने आता था
, to be continued ---
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